Bag Free day at School: उत्तराखंड के स्कूलों में शुरू होगी अनोखी पहल, स्कूली बच्चों के बस्तों के बोझ को कम करने के लिए सालभर में दस बस्ता रहित दिवसों का होगा आयोजन, - जनवरी 09, 2024

 

स्कूलों में एक दिन होगा बैग फ्री डे, बच्चों में तनाव कम करने के लिए बस्ते का बोझ कम करने का फैसला




उत्तराखंड में स्कूली बच्चों के बैग का बोझ कम करने के लिए राज्य सरकार एक नई पहल शुरू करने जा रही है। इसके तहत स्कूलों में बैग फ्री डे लागू करने का निर्णय लिया है। राज्यभर के स्कूलों में वर्षभर में दस दिन बस्ता रहित दिवस मनाया जायेगा। इस योजना के अंतर्गत छात्र-छात्राएं बिना बैग के स्कूल जायेंगे जहां पर वह अपनी अभिरूचि के अनुसार विभिन्न गतिविधियों में प्रतिभाग कर सकेंगे। सरकार के इस निर्णय को अभिभावक संघों के साथ ही विभिन्न शिक्षक संगठनों ने स्वागत करते हुए छात्रों के सर्वांगीण विकास के लिये एक अहम और छात्रों के लिए रुचिकर बताया है।

  BAG FREE DAY.... 


 NEP 2020 यानी राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के अनुसार प्रदेश के सभी विद्यालयों में बैग फ्री डे योजना लागू की जा रही है। जिसकी राज्य सरकार ने स्वीकृति देते हुये सम्पूर्ण शैक्षिक सत्र में कुल दस दिन बस्ता रहित दिवसों का आयोजन करने का निर्णय लिया है। इसके लिये प्रत्येक माह अंतिम शनिवार का दिन नियत किया गया है। बैग फ्री डे योजना उच्च प्राथमिक एवं माध्यमिक विद्यालयों के कक्षा-06 से कक्षा-12 तक लागू की जायेगी जबकि प्रदेश के राजकीय प्राथमिक विद्यालयों में यह योजना पहले से ही 'प्रतिभा दिवस' के तौर संचालित की जा रही है। जिसके अंतर्गत भाषा, गणित विज्ञान, खेलकूद, कला एवं क्राफ्ट तथा श्रम के कार्य व व्यायाम, सामाजिक एवं सांस्कृतिक अभिरूचि की गतिविधियां संचालित की जाती हैं। 
   सरकार ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 की अनुशंसा के आधार पर सभी प्रकार के विद्यालयों में वर्षभर में 10 बस्ता रहित दिवसों के संचालन की स्वीकृति प्रदान कर दी है। जिसका प्रमुख उद्देश्य स्कूली बच्चों के बस्ते के बोझ को कम करना, विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से छात्रों में निहित प्रतिभाओं का समुचित विकास करना, स्थानीय व्यवसायों तथा हस्त शिल्प संबंधी कौशल विकास के साथ ही श्रम के प्रति सम्मान की भावना विकसित करना है। इस संबंध में शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत द्वारा विभागीय प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है, जिसका शासनादेश जारी होते ही 'बैग फ्री डे' योजना के क्रियान्वयन की प्रकिया शरू हो जायेगी। 
कौशल विकास से संबंधी गतिविधियां कराई जाए

शिक्षा मंत्री ने कहा कि बच्चे कई बार लगातार पढ़ाई से ऊब जाते हैं, जिससे वह तनाव में आ जाते हैं। उनकी इस समस्या को दूर करने के लिए माह में एक दिन बैग फ्री डे निर्धारित करते हुए उस दिन बच्चों से केवल खेल-कूद, वाद-विवाद प्रतियोगिता, कृषि कार्य, सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ ही अन्य कौशल विकास से संबंधी गतिविधियां कराई जा सकती हैं।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के अंतर्गत भारतीय ज्ञान परंपरा पर आधारित विषयों को पाठ्यक्रम में शामिल करने और हमारी विरासत पुस्तक नाम से एक पाठ्य पुस्तक तैयार करने को कहा, ताकि बच्चों को अपने जनपद, राज्य एवं राष्ट्रीय स्तर की विरासत एवं इतिहास पुरुषों के बारे में जानकारी मिल सके। कार्यशाला में विधायक लैंसडाउन दीलीप रावत, महानिदेशक विद्यालयी शिक्षा बंशीधर तिवारी, निदेशक माध्यमिक शिक्षा एवं सीमेट सीमा जौनसारी, निदेशक प्राथमिक शिक्षा वंदना गर्ब्याल, अपर निदेशक राम कृष्ण उनियाल, अपर निदेशक माध्यमिक गढ़वाल महावीर सिंह बिष्ट, विरेंद्र सिंह रावत, एसपी खाली, डॉ. आरडी शर्मा, अजय नौडियाल आदि मौजूद थे।

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